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भईया जी सुबह सो कर उठे, बहार का दरवाजा खोला तो पता लगा की आज भारत बंद है. दूध वाले ने दूध नहीं दिया था, सोंचे की खुद चल के ले लूं, पास में ही तो हैं.
खटाल पहुंचे तो दूध वाला बोला – “दूध नहीं है.” भईया जी पूछे – क्यों? क्या हुआ? जबाब आया – आज भारत बंद है?
सुन के आश्चर्य हुआ, की केंद्र के पटरी इतना असंतोष की भारत बंद के दौरान भैंसों ने भी दूध देना बंद कर दिया. भईया जी की बात सुन के दूधवाला बोला – अरे नहीं वो सुबह से पानी नहीं आ रहा है. क्या भैंसों को पिलायें, क्या मिलाएं? बिना खाए पिए भैंसिया अइसन मरने दौड़ी की रामदेव बाबा की राम लीला मैदान वाली घटना याद आ गयी.
पानी नहीं आ रहा है, सुन के भईया जी को बहुत चिंता हुई. अभी तो सो के उठे हैं. अभी कुछ किया धरा भी नहीं और अब वो ज़माना भी नहीं रहा की धो पोंछ के काम चला लें.
इसी चिंतन मनन में लगे थे की रोड से बंद समर्थो का जत्था गुजरा. सामने से एक स्कूटर वाला आ रहा था. भीड़ को देखते ही उसने स्कूटर साइड कर ली. भीड़ को पता लगते ही की स्कूटर वाला काम पे जा रहा है, सबने उसे घेर लिया. निचे उतर के ‘निरमा’ वाली धुलाई कर दी. मुझे लगा की स्कूटर वाला जोश में आएगा और पुरे भीड़ की धुलाई कर देगा. पर हर कोई ‘सिंघम’ तो नहीं हो सकता.
एक जोशीला बंद समर्थक चिल्लाया- हम पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के विरोध में भारत बंद कर रहे हैं. तुमको देश वासियों की जरा भी परवाह नहीं है. ” गुस्से में उसने स्कूटर में आग लगा दी. पेंड़ो को कटते देख के धरती कुछ नहीं बोल पाती. वैसे ही वो अपने स्कूटर ओके धू धू जलते देख के कुछ बोल नहीं पाया. एक बुजुर्ग जनता, पार्टी में से आगे आये और उसे समझाया – “उदास मत हो बेटा, गाडी का इन्श्योरेंसे तो कराया ही होगा. उसके पैसे से नया गाडी ले लेना.”
तभी सामने से एक समोसे वाला आता दिखाई दिया. भीड़ देखा के तो उसके प्राण सुख गए. वो बाज़ार से भागा भागा आ रहा था. बाज़ार में लोगो ने उसके समोसे गिरा दिए थे. उसने दूर से ही स्कूटर वाले की पिटाई होते देख ली , भीड़ ने उसे घेर लिया, बोले – भूख लग रही है यार, समोसे खिलाओ. समोसे वाला बोला -“वो तो ख़तम हो गयी. लाल चटनी बची है, खा लीजिये. कृपा हो जाएगी”. उसके कहते हैं सारी भीढ़ लाइन लगा के लाल चटनी का सेवन करने लगी.
एक कार्यकर्त्ता भईया जी के पास आया और उनको एक पानी का बोतल थमा के बोला – “हई धरो, पानी तो आएगी नहीं आज. बंद में शामिल हो जाओ, तो और भी बोतल मिलेंगे पिने के लिए, सूखे गले से नारा कैसे लगा पाओगे?” भईया जी उससे कुछ कहना चाहते ही थे की कोई चिल्लाया – “भाग भाग …………. भाग ” उस बन्दे ने अपना मोबाइल निकाला तो पता लगा की ये तो उसके मोबाइल का रिंग टोन है. पानी वाले भाई फ़ोन पे बतियाते हुए भीड़ में कहीं ग़ुम हो गये.
मोबाइल के रिंग टोन ने भईया जी के लिए प्रेरणा का काम किया. वो धीरे से घर भाग लिए.बाज़ार बंद था, दुकाने बंद थी, भईया जी ने अपने खिड़की दरवाजा बंद कर लिया.
क्योकि आज भारत बंद है
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