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जापान चाँद पर बिजली बनाएगा
पढ़ कर दो मिनट के लिये सोंचना पड़ा आखिर ये चाँद पर बिजली क्यों बना रहें हैं? क्या उनको पता नहीं उनके ऐसा करने से श्रृंगार रस के कितने लेखको को अपनी रचनाओं की नायिकाओं को चाँद की उपमा देते हुए कई बार सोंचना पड़ेगा की कहीं नायकों को बिजली के झटके ना लगने लगे. कारण जिस तरह से चाँद और उसके दाग की उपमा का चोली दामन का साथ है वैसे हीं कहीं चाँद और बिजली के झटके का भी चोली दामन का साथ ना हो जाये.
और तो और फिल्मों के गाने में लिखने और गाने में कितनी दिक्कतें आयेंगी. पहले फिल्मों के गाने होते थे, चाँद मेरा दिल चाँदनी हो तुम….. मान लेते हैं की यही गाना अब लिखा जाए जब की चाँद पर बिजली बन रही है तो कैसे लिखेंगे … चाँद मेरा दिल .. किरर्र… किरर्र (किरर्र किरर्र का मतलब की अब इसको बिजली के झटके लग चुके हैं) अब गीतकार को आगे की लाइन क्या लिखनी है, क्या लिख पायेगा वो. भाई बिजली के झटके के बाद दिल दिमाग होश में रहेगा क्या की आगे लिख पायेगा कोई??
जापान, चाँद पर बिजली बनाएगा. उससे जापान तो रौशन होगा हीं होगा, चाँद भी तो रौशन होगा. और इस बात की भविष्यवाणी तो भारत में कई साल पहले की जा चुकी थी एक गीत के माध्यम से – ये चाँद सा रौशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनेहरा…
पर दिक्कत सबसे ज्यादा मुझे लगता है. चाँद की बिजली को धरती पर लाने में होगी. भाई, चाँद से धरती तक बिजली के तार कौन तानेगा और तारों के लिये खम्भे किधर गाड़े जायेंगे?
असली दिक्कत तो उनको होगी जो कंटिया फंसा के बिजली का उपभोग करते हैं. चाँद तक कंटिया फंसाने में तेल निकल जायेगा. अब तेल चाहे जो हो, होता है बहुत महंगा.
उन शहरों में जहाँ बिजली की दर बहुत अधिक है. जैसे की अपनी दिल्ली. जहाँ नेता जी सस्ती बिजली दिलाने का वादा तो करते हैं, मगर उस वादे को चुनाव जितने के बाद ठीक वैसे हीं पांच साल के लिये भूल जाते हैं जैसे की गजनी फिल्म में आमीर खान पंद्रह मिनट के लिये सब कुछ भूल जाते हैं. इस योजना से एक उम्मीद तो बंधेगी शहरों में सस्ती बिजली पाने की. सबमें होड़ मच जाएगी. चाँद वाली बिजली पाने के लिये.
जैसे चाँदनी चौक में कचौड़ी वाली गली मशहूर है, वैसे हीं सबके घर में चाँद वाली बिजली मशहूर होने लगेगी.
धरती पर किसी इन्सान का जितना वजन होता है, उसका छठा हिस्सा वजन होता है चाँद पर. तो क्या बिजली की दर भी इसी फोर्मुले पर चलेगी और अभी जीतना बिजली बिल आता है उसका छठा हिस्सा हीं आएगा??
खैर कुछ और हो ना हो, मुझे तो इस बात की खुशी जरुर होगी, की अब चाँद वाली बुढिया को अँधेरे में सूत नहीं काटनी पड़ेगी.
अभी जब उर्जा के उत्पादन केलिए परमाणु सयंत्रो का सहारा लिया जाता है. जिससे कभी भी रिसाव का खतरा बना रहता है. जापान ने अपने एक दो संयत्र बंद भी किये वैसे में कल्पना से परे जापान का ये कदम बहुत हीं सराहनीय है.
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